महात्मा फुले के फुलेवाद स्वामीविवेकानंद के एकात्मकवाद और पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी के आदर्शवाद के एकमात्र सुल्तान राष्ट्रनायक महादेव जानकर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
अखाड़ा दंगल का हो या सियासत का, वो विरोधियों को अपने दांव से चित करने में माहिर हैं। वो राजनीति के महारथी हैं तो राष्ट्र को फुलेवाद की राह पर ले जाने वाले एकमात्र सारथी भी हैं। सियासत उनके लिए सिर्फ सत्ता पाने का जरिया नहीं बल्कि राष्ट्रीय समाज के गरीबो, मजलूमों और जरूरतमंदों तथा हाशिये पर छूट गए लोगों के उत्थान का माध्यम है।देश के राजनीति में 90 के दशक में एक नौजवान निर्भीकता पूर्वक महाराष्ट्र के कोने कोने में बिना संशाधनों के दौड़ रहा था,उसके मन मे मात्र एक विश्वास था कि विचारों के दम पर राजनैतिक प्रवाह से दूर फेके गए नौजवानों को फिर शने शने जोड़कर उन्हें सत्ता में भागीदारी दिलाना ….ओ भी सिर्फ ओ सिर्फ विचारों के बलबूते और उसका खोया हुवा स्वाभिमान जगा कर अनेक अड़चनों से सामना करते हुए भी वह नौजवानों के भीतर स्वाभिमान, स्वावलंबन और विचारों की मशाल जगाता घूम रहा था इसी मशाल से 2003 में राष्ट्रीय समाज पार्टी का अवतरण हुवा प्रचंड इच्छाशक्ति और जीद्द के बलबूते जलती मशाल स्वाभिमानी स्वावलंबी वैचारिक निष्ठावंत आम नौजवान राष्ट्रीय समाज पार्टी की ताकत बनने लगी। अनेकानेक नौजवानों को राजनीति में जन्म देने वाली मातृत्व रूपी संस्था बन गयी राष्ट्रीय समाज पार्टी , जिस व्यक्ति ने ये सब संघर्षों से खड़ा किया सर्वसामान्य से प्रेम का नाता जोड़ राष्ट्रीय समाज पार्टी रूपी परिवार खड़ा किया उस व्यक्ति को आज पूरा देश सम्मान से महादेव जानकर साहब के नाम से जानता है अनेक संकटं आये विरोधीयो के साथ साथ अपनो ने भी कई बार पीछे से वार किया सब झेलते रहे .कभी पलट कर ऐसे लोगो को जवाब दिया ही नही..पर रहे सदैव चलते धैर्यवान धिरवान विरवान बनके कारण जिन्हें कभी कोई जानता नही था आज उन्हें चौक चौराहों पर नेताजी के तौर पर पहचाना जाने लगा था ..राष्ट्रीय समाज की बदौलत वे लड़ना सिख रहे थे …कदम शने शने राजनैतिक पगडंडिओ की ओर बढ़ रहे थे …फार्म भरने की कला सिख तो रहे ही थे जहाँ पहले कही दरी बिछाने में लगे थे उसे छोड़ अपना डंडा अपना झंडा ,चर्चा पर्चा खर्चा अपना हो ऐसा तो कहना सिख ही गए ।राजनीति में नेता तो बहुत है लेकिन राजनीति में जिनका कोई नही ऐसे नौजवानों के लिए क्रांति की मशाल जलाने वाले एकमात्र औलिया है जानकर साहब इसे कोई नकार नही सकता हम जैसे सामान्य कार्यकर्ताओ को गढ़ने वाले कुम्भार रूपी थापों के सरताज ‘मन से भोले महादेव लेकिन इरादों में फौलादी’ राष्ट्रीय समाज पार्टी के मुखिया और ‘साहेब’ के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रनायक महादेव जानकर का आज जन्मदिन है।
आप का जन्म सुखग्रस्त सातारा की क्रांतिभूमि महाराष्ट्र जहाँ महात्मा फुले,सावित्री बाई फुले ,छत्रपति शाहूजी महाराज,वीर शिवाजी,लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर संत तुकाराम संत ज्ञानेश्वर ने जन्म लिया ऐसे जिले में माँ गुणामाई पिता जगन्नाथ जानकर, पशुपालक घुमंतू परिवार में 19 अप्रैल 1968 को घर से दूर जंगलो में भेड़ो के बाड़े हुआ था। अन्याय अत्याचार और पिछड़ेपन के खिलाफ लड़ना और हक़ की आवाज बुलन्द करना आप के स्वाभाव में बचपन से शामिल था। एक सुशिक्षित इंजीनयर बनने के बाद जब आपके सहपाठी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नोकरी से जुड़कर मोटी कमाई को अपना रहे थे , तब आपका मन, मस्तिक, हृदय ,राष्ट्रीय समाज के पिछड़ेपन , गरीबी , अन्याय ,अत्याचार के हक़ के लिए लड़ने को ललकार रहा था । आपने अपने ऐश्वर्य की आरामदायक जीवन यात्रा को पथरीली कंकरीली अविस्मरणीय अगाथ यात्रा की ओर मोड़ दिया और इस दबे कुचले घोर गरीब बेसहारा राष्ट्रीय समाज के लिए देवो के महादेव खंडोबा के स्वरूप को साक्षी मानकर लाखो लोगो के बीच प्रण कर लिया कि आगे अब……..यही राष्ट्रीय समाज मेरा परिवार है मेरे जीवन का उद्देश्य ही राष्ट्रीय समाज को उसका ऐतिहासिक गौरवशाली अतीत का वैभव दिला कर उसे याचक की बजाय पुनः राजसत्ता दिलाना है उसके लिए अब मैं…..
अब अविवाहित रहूंगा ।
किसी प्रकार के पारिवारिक रिश्ते नाते नही रखूंगा।
अब कभी घर की डयोढ़ी नही लाघुँगा।।
और आज तक आप अपनी इसी परिपाटी को यथवात जारी रख कर आगे बढ़ रहे है ।।
1989 से लगातार आप कभी राष्ट्रीय समाज अधिकार यात्रा, राष्ट्रीय समाज दिन दुखी जनजागरण /अधिकार यात्रा , राष्ट्रीय समाज अधिकारी खोज यात्रा …..महान स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजो के ख़िलाफ़ आज़ादी का संगठित प्रथम विद्रोह के नायक संगोली रय्याना , महात्मा फुले जन्मगांव कटिंअँगुन जयंती, लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर जन्मगांव चौंडी जयंती , बेडर रामोशी समाज सम्मान समारोह भारत की संसद पर धनगर गडरिया पाल बघेल कुरुबा रबारी अधिकार मोर्चा जैसे कई समाजप्रबोधन के कार्यकर्मो की आपने शुरुवात की ।
आपके सिर पर वर्ष 2003 में एक सेहरा बंधा जब आपने राष्ट्रीय समाज पक्ष रूपी राजनीतिक दल की स्थापना इस देश की एकमात्र न्यायकुशल आदर्श शासिका पुण्यश्लोक राजमाता अहिल्यादेवी के उदगम स्थल चौड़ी अहमदनगर में उनके जयंती कार्यक्रम 31 मई को की गई। भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय था, क्योंकि लगभग दसों दशकों से हाशिये पर जा चुके फुलेवादी अहिल्यावादी आंदोलन को आपने शने शने पुनः पुनर्जीवित किया है।
आपने एक आगाज़ किया और उदघोष दिया कि
- राष्ट्रीय समाज का एजेंडा, संसद भवन में पिला झंडा।।
2.बलश्रेष्ठ तो रणश्रेष्ठ बुद्धि श्रेष्ठ सर्वश्रेष्ठ ।।
3.फुलेवाद के सम्मान में रासपा मैदान में ।
4.वोट हमारा राज हमारा
राष्ट्र हमारा राज हमारा।।
5.सत्यशोधन समाजप्रबोधन राष्ट्रसंघटन
6.राष्ट्र ही देव राष्ट्र ही जाति राष्ट्र ही धर्म हमारा। राष्ट्र बने बलशाली यह भाषा सूत्र हमारा।।
7.न्याय चाहते हो तो शासक बनो।
8.राष्ट्रीय समाज का हित फुलेवाद मे सुरक्षित।।
9.आरसपी करे पुकार पीला झंडा अपनी सरकार।। - भारत राष्ट्रीय समाज का ।
शासन भी राष्ट्रीय समाज का।।
11.दुसरो के आलीशान महल की बजाय अपनी झोपड़ी अच्छी है इसपर गर्व करिये और स्वाभिमानी बनिये । - संघर्ष,धैर्य,जिद्द व बुद्धिकौशल से आप राष्ट्र ही नही अपितु संसार भी जीत सकते है।।
13 . अपयश मिलने पर प्रयत्न करना कदापि न छोड़े करत करत अभ्यास के जड़मति होते सुजान।। - कौन आपसे जुड़ रहा है, कौन आपको छोड़के जा रहा है, कौन आपको गाली दे रहा है इसका विचार किये बिना आप अपने लक्ष्य ध्येय को प्राप्त करने हेतु सतत प्रयत्नशील रहे ।
- किसी की मेहरबानी पर नेता कभी नही बन सकते। अपनी भुजाओं पर सदा यकीन रखिये और आइये संघर्ष शुरू करिये।
52 साल की इस तपस्या में आपने न सिर्फ महाराष्ट्र उत्तरप्रदेश में फुलेवाद अहिल्यावाद स्वामी विवेकानंद के एकात्मवाद और राष्ट्रीय समाज के दीन दुखी दुबलो के विकास का परचम फहराया है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भारत के लगभग 17 राज्यो में इस राष्ट्रीय समाज को एक नया मुकाम दिलाया है । महादेव जग्गनाथ जानकर की इसी व्यक्तित्व, कार्यशैली और लोकप्रियता की वजह से वह लगभग सभी वर्गो/ दलों के चहेते हैं। ऐसे हरदिल अजीज,जनप्रिय , राष्ट्रनायक साहेब को उनके जन्मदिन की हार्दिक बधाई देने के साथ उनकी लंबी स्वस्थ आयु की कामना करता है।
आपका
कुमार सुशील (राष्ट्रीय महासचिव)
राष्ट्रीय समाज पार्टी
9999525007