Share On

हाशिए पर पड़े समुदाय को न्याय दिलाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा लेकर निकला एक औलिया… उपेक्षित राष्ट्रीय समाज को अपेक्षित न्याय दिलाना मेरे जीवन का लक्ष्य महादेव जानकर ।

वो अपार ऊर्जा, कितने लाख किलोमीटर का सफर तय किया होगा इस आदमी ने, हम इसे दैवीय शक्ति ही कहेंगे, न थकान न आराम, कब कहा क्या खाना मिलेगा इसका कुछ अतापता नहीं। मेरी लड़ाई विधायक सांसद मंत्री संत्री बनने की नही सिर्फ ओ सिर्फ हमारे अपने स्वराज्य की लड़ाई है महादेव जानकर ।

ये एक अलग औलिया है, लक्ष के प्रति अजीब दीवानेपन की हद है महादेव की सेना बन देव दानव भूत बैताल की तरह तेज दौड़ रहे हैं, ये कहीं रुकना नहीं चाहते, हवा की रफ्तार से लगातार दौड़ रहे हैं…. राष्ट्र ही देव राष्ट्र ही धर्म राष्ट्र ही जाति हमारी.. राष्ट्र बने बलशाली यह भाषा सूत्र हमारा महादेव जानकर आज व्यवहारिक जगत में न्याय दुर्लभ हो गया है, पर ये शख्स कोई प्रयत्न नहीं छोड़ता इसे पता है इसका लक्ष आसान नहीं और आजकल बिना त्याग के मुफ्त में कुछ नहीं भी मिलता। मुफ्त की बिजली मुफ्त का राशन नहीं हमे हमारा शासन चाहिए महादेव जानकर।

इस आदमी की एक ही लालसा है कि 2001 से लेकर आज तक जब से मैं इससे मिला हूं, तब से उपेक्षितो को न्याय सुलभ में मिले और इसे समाज के आखिरी तबके तक पहुंचाए..इसी लक्ष्य को लेकर ये जीवंतदानी चल रहा है । एक दिन मैं इस देश का प्रधानमंत्री अवश्य बनूगा,मैं बनू ना बनू पर राष्ट्रीय समाज का मेरा कार्यकर्ता अवश्य बनेगा महादेव जानकर।

कल का दिन ही ले लीजिए, वे सुबह थोड़ा नाश्ता करके निकल गए, पूरे दिन कार्यक्रम में फिर से भोजन का कोई पता नहीं है, और कब लेंगे, साढ़े चार बज गए हैं, और अब वे अपने अगले के लिए निकल गए हैं यात्रा।
आपने अपने जीवन के 30-32 साल कैसे काटे हैं..डैम योर गुड गवर्नमेंट वी वांट आवर ओन गवर्नमेंट ।

आपके काम को सलाम

सचिन गुरव पुणे

महादेव जानकर ,
काशीनाथ शेवाटे,
ज्ञानेश्वर सालगर,
आरएसपी महाराष्ट्र,
राजेंद्र पाटिल ,
आरएसपी पूर्वांचल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *