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एक दौर था जब TATA कंपनी से भी बड़ी एक कंपनी कंपनी थी, जिसका पूरा नाम PCCC यानी पुणे कमर्शियल कंस्ट्रक्शन कंपनी था और इसके संस्थापक अध्यक्ष थे राष्ट्रीय समाज के राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले.

राष्ट्रीय समाज के महात्मा ज्योतिबा फुले समाजसुधारक, शिक्षक, दार्शनिक के अलावा उद्योगपति भी थे. उन्होंने अपने हुनर और दमखम पर उस वक़्त भारत की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी खड़ी की. 1869 में कंपनी का सालाना टर्नओवर 21,000 (वर्तमान 21,000 CR) रुपये था. और उस वक़्त TATA कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 20,000 (वर्तमान 20,000 CR) रुपये था.

राष्ट्रीय समाज के उद्योगपति महात्मा ज्योतिबा फूले की कंपनी ने येरवडा पुल, येरवडा जेल और पुणे के नजदीक मुला-मुठा बांध का निर्माण कार्य किया. मुम्बई की पुरानी महानगरपालिका इमारत, परेल रेलवे वर्कशॉप और मुम्बई की अनेक गिरणी कपड़ा मिलों के निर्माण का श्रेय राष्ट्रीय समाज के महात्मा फुले की कंस्ट्रक्शन कंपनी को जाता है.

बड़ोदा के राजा गायकवाड़ के आलीशान महल राजविलास को भी बनाने का ठेका राष्ट्रीय समाज के महात्मा फुले की कंपनी को मिला था. राष्ट्रीय समाज के महात्मा फुले अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा समाज कार्यों में खर्च करते थे. स्कूल, अस्पताल, दवाखाना और पुस्तक छापने का कारखाना बनाने में उनका बड़ा योगदान है. 1882 में सवर्ण हितकारी नेता बाल गंगाधर तिलक जी को एक मानहानि के मुकदमे में जेल जाने की नौबत आ गई. तिलक के पास जमानत के लिए पैसे नही थे. राष्ट्रीय समाज के महात्मा ज्योतिबा फुले ने जमानत के लिए तिलक को पैसे दिए.

राष्ट्रीय समाज के हमारे महात्मा ज्योतिबा फुले सही मायने में इस देश के राष्ट्रपिता हैं. मैं भारत के राष्ट्रपिता राष्ट्रीय समाज के महात्मा ज्योतिबा फुले को कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ.

अंतिम पंक्ति : उनके मृत्यु के बाद PCCC कंपनी और सत्यशोधक समाज संस्था इतिहास के पन्नों में दफन हो कर रह गए.

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