कित्तूर की रानी चेन्नमा के क्रांतिवीर सेनापति का जन्म 15 अगस्त 1798 को भेड़पालक परिवार में हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रथम सशस्त्र क्रांति के आप नायक रहे हैं इसको दबाने के लिए ब्रिटिश ने 26 जनवरी 1831 को…
“मुश्किलों के दौर में हर कोई बहाने की चादर ओढ़ लेता है,पर जिसने हारी हुई बाजी पलट दी वही असली था शेर …!!राजू पाल अमर रहें। राष्ट्रीय समाज के युवाओं की प्रेरणा,आतताइयों, समाजद्रोहियो, तत्कालीन सत्तारूढ़ गुंडों की अराजकतावादी व्यवस्था अन्याय…
राष्ट्रीय समाज की राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले देश में सिर्फ महिला चेतना की प्रतीक नहीं है. वह देश में शिक्षा की अलख जगाने वाली शुरुआती सुधारकों में से हैं. फिर भी बहुत सारे लोग उनसे, उनकी कहानी और संघर्ष से अनजान…